संत का मन नवनीत से भी कोमल होता है-राहुल जी महाराज

संत का मन नवनीत से भी कोमल होता है-राहुल जी महाराज

बृजेश राय

जमानिया/मतसा। रघुनाथपुर में चल रहे मानव धर्म प्रसार प्रवर्तन समाज सेवी संस्था के पाँच दिवसीय बत्तीसवें बार्षिक सम्मेलन के समापन दिवस पर सर्वप्रथम गुरु वंदना की गयी । संत राघवाचार्य राहुलमहराज तथा संस्था के अध्यक्ष संत दयाराम दास के द्वारा संयुक्त रूप से मानव धर्म प्रसार प्रवर्तन संस्था के मशाल को प्रज्वलित किया गया।

इस अवसर पर संत दयाराम दास ने कहा कि सत्य न्याय धर्म अपनाने से ही समाज का कल्याण होगा। रामकथा सुनाने के क्रम में राहुलजी ने कहा कि संत का मन नवनीत से भी कोमल होता है।अपने ऊपर ताप बढ़ने पर नवनीत द्रवित होता है लेकिन संत महापुरुष दूसरो के दुख को देखकर द्रवित हो जाते हैं।संत का जीवन अपने लिए नहीं अपितु समाज के हित के लिए ही होता है।
जबलपुर मध्यप्रदेश से पधारी शिरोमणी दुबे ने कहा कि धन,बल,पद के नाते हो सकते है। सामने पड़ने पर कोई सम्मान दे भी दे लेकिन वास्तविक सम्मान व्यक्ति के न रहने पर मिलता है। लौकिक दृष्टि से देखा जाए तो रावण के पास बल,विद्या ,धन सब कुछ रामजी से अधिक था ,परन्तु रावण का पुतला जलाया जाता है और रामजी की पूजा होती है।इसके पीछे वजह यह है कि रामजी का चरित्र उत्तम था और रावण का निकृष्ट। सम्मेलन में संत भिखारी महाराज, पं. शिवजी महाराज ,अदालत यादव तथा अन्य लोगों ने भी संत महिमा पर विचार रखे।हजारों की संख्या में लोग सम्मेलन में शामिल होकर विद्वान वक्ताओं के विचार सुने और भंडारे में महाप्रसाद ग्रहण किया।कथामंच का संचालन सुखपाल और संस्था के अध्यक्ष संत दयाराम दास ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।