सुशील कुमार की रिपोर्ट
मलसा(गाजीपुर)। भगीरथपुर के अति प्राचीन स्वयंभू झारखण्डे महादेव मंदिर के प्रांगण में आयोजित पंच दिवसीय श्रीराम कथा के विराम दिवस पर संत दयाराम दास ने कहा कि जीव भगवान का ही अंश है जरूर लेकिन जीव भगवान से किए वादे को भूल जाता है तो भगवान भी जीव को भूल जाते हैं।
हमने भगवान से वादा किया था कि हम मनुष्य जीवन में तुम्हारा नाम सुमिरन करेंगे, हे प्रभु हम तुम्हारा भजन करेंगे परन्तु मनुष्य शरीर मिलने के बाद हम संसार के बिषय भोगों में फंसकर हम भगवान से किए वादे को भूल जाते हैं, इसी कारण हम भगवान से और भगवान हमसे दूर हो जाते हैं। भागवताचार्य चंद्रेश महाराज ने कहा कि अभिमान मनुष्य के पतन का कारण बनता है। रुप, बल, धन, पद -पदवी और विद्या का अहंकार संसार में सर्वत्र दिखाई देता है। इन्हीं अहंकार में से किसी न किसी के कारण मनुष्य कभी अपने स्वजनों से तो कभी समाज में अन्य सुहृदों से भी दूर हो जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी अभिमान निंदनीय ही है। मैं भगवान का सेवक हूं और भगवान हमारे स्वामी हैं यदि यह भाव जीवन में आ जाये तो ऐसा अभिमान प्रशंसनीय है। आयोजन में संत राघवाचार्य राहुल जी, बुच्चा यादव, शिवानंद एवं राधेश्याम चौबे ने भी कथा अमृत पान कराया।