सुशील कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
मतसा। देवा बैरनपुर में गोलोकवासी सुविख्यात कथावाचक भिखारी जी की पुण्यतिथि पर आयोजित एक दिवसीय श्रीराम कथा में गृहस्थ संत बुच्चा जी ने कहा कि जीवन है तो मरण है।
जिस समय किसी का जन्म होता है उसी समय यह भी सुनिश्चित अकाट्य सत्य समझ लेना चाहिए कि इसका किसी न किसी दिन मरण भी होगा। जीवन धन्य उसी का है जो जन्म लेते समय तो रोया परन्तु मरते समय हँसते हुए इस मृत्युलोक को छोड़े तथा संसार उसके किये परोपकार एवं धर्म कार्य को स्मरण कर करके रोते।जब तू आया जगत में जग हांसे तू रोय। ऐसी करनी कर चले तू हाँसे जग रोय।सत्संग समिति अध्यक्ष संजय राय ने कहा कि मनुष्य का शरीर नहीं अपितु उसका यश अमर होता है और यश मिलता है सत्कर्म करने से।रोते हुए दुखियों के आंखों से आँसू पोंछने वाला कर्म, भूखे को भोजन, वस्त्रहीन को वस्त्र, निराश्रित को आश्रय देने वाला तथा संसार में फंसे हुए जीव को संसार के रचयिता परमात्मा के भजन एवं भक्ति से जोड़ने वाला ही वास्तव में अमरत्व को प्राप्त होता है। इस अवसर पर भिखारी जी के व्यक्तित्व पर रामनिवास शर्मा, राजकुमार राय, रामदयाल यादव एवं पारस प्रजापति ने प्रकाश डाला। समस्त उपस्थित जनसमुदाय एवं विद्वान वक्ताओं के प्रति शेषनाथ सिंह ने आभार व्यक्त प्रकट किया।