गाजीपुर के जमानियां से बहुत से लोगों को लगता है कि ध्वजारोहण और झंडा फहराना एक ही बात है। लेकिन ऐसा नहीं है। ध्वजारोहण और झंडा फहराना दो अलग बातें हैं और इसकी प्रक्रिया भी अलग होती है। हर साल की तरह इस साल भी 26 जनवरी की तैयारियां लोगों ने हर्षोल्लास के साथ मनाने की पूरी तैयारी किया। इसकी धूम भी बाजारों में दिखाई देने लगी है। जिस तरह से 15 अगस्त के दिन लोग बेहद धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाते आ रहे हैं। ठीक उसी तरह से तहसील मुख्यालय गेट पर उपजिलाधिकारी डा, हर्षिता तिवारी, सीओ कार्यालय के पास क्षेत्राधिकारी अनूप कुमार सिंह, कोतवाली परिसर में कोतवाली प्रभारी श्याम जी यादव ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि संतोष कुशवाहा तथा विकास खंड अधिकारी यशवंत कुमार राव ब्लाक परिसर में ध्वजारोहण किया। सनशाइन पब्लिक स्कूल परिसर में संस्थापक चेयरमैन सर्वानंद सिंह, एस एस देव पब्लिक स्कूल में प्रबंधक सुबास चंद्र कुशवाहा, पालिका कार्यालय में जय प्रकाश गुप्ता, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रभारी चिकित्सक डा, रवि रंजन, मकतब इस्लामिया में अंजुमन वारसीयह शांति एकता प्रतीक चिन्ह के सरपरस्त नेसार अहमद वारसी ने 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस ध्वजारोहण कर हर्षोल्लास के साथ मनाया और बच्चों में मिठाई वितरण की। तथा स्कूल कालेजों में छात्र छात्राओं द्वारा रंगा रंग संस्कृति प्रोग्राम कर उत्सव के रूम में मनाया। बताया जाता है। की इस दिन हर देशवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। क्योंकि यही वो दिन है, जब दिल्ली के राजपथ पर देशभर की संस्कृति देखने को मिलती है। इस दिन ही देश के राष्ट्रपति राजपथ पर भारत का झंडा फहराते हैं। इस अवसर पर ध्वजारोहण के बाद उपजिलाधिकारी डा, हर्षिता तिवारी ने बताया कि भारत का झंडा यानी कि, हमारा तिरंगा हमारी आन बान और शान है। हमारा राष्ट्रध्वज हमारे गौरव का प्रतीक है इसीलिए हर साल स्वतंत्रता दिवस के दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर ध्वजारोहण करते हैं और गणतंत्र दिवस के अवसर राष्ट्रपति राजपथ पर झंडा फहराते हैं। बहुत से लोगों को लगता है कि ध्वजारोहण और झंडा फहराना एक ही बात है। लेकिन ऐसा नहीं है। ध्वजारोहण और झंडा फहराना दो अलग बातें हैं और इसकी प्रक्रिया भी अलग होती है। बता दें कि ध्वजारोहण क्या होता है, हर साल 15 अगस्त के दिन भारत देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण करते हैं। इसमें झंडे को रस्सी की मदद से नीचे से ऊपर की तरफ खींचा जाता है। ऐसे में इसे ध्वजारोहण कहते हैं। ध्वजारोहण किसी नए राष्ट्र के उदय का प्रतीक माना जाता है। इसे भारत के उदय और ब्रिटिश शासन के अंत के तौर पर भी चिन्हित किया जाता है। भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। और तब से हम सब इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। जब हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ तो उस समय भारत के पास अपना कोई संविधान नहीं था। बाद में डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। और तब से हम सब इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। जब हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ तो उस समय भारत के पास अपना कोई संविधान नहीं था, लेकिन बाद में काफी विचार-विमर्श के बाद डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया और भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया। भारतीय संविधान के इस मसौदे को विधान परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया गया। और 26 नवंबर 1949 में इसे अपनाया गया। और इसे 26 जनवरी 1950 में इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया। भारत गणराज्य की स्थापना की याद दिलाता है। तिवारी ने कहा की हम उन महापुरुषों को भी याद करते हैं, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलवाने और भारतीय संविधान को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनकी बदौलत ही भारत आज एक गणराज्य देश कहलाता है। हमारे महान भारतीय नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों महात्मा गांधी, भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल और लाल बहादुर शास्त्री आदि ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। तहसीलदार देवेंद्र यादव ने बताया कि हम इस वर्ष को
73 वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। गणतंत्र का अर्थ है। देश में रहने वाले लोगों की सर्वोच्च शक्ति और केवल जनता को ही देश को सही दिशा में ले जाने के लिए अपने प्रतिनिधियों को राजनीतिक नेता के रूप में चुनने का अधिकार है। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान की शक्तियों के कारण ही हम देश में अपने पसंद का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं को चुन सकते हैं। हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत में पूर्ण स्वराज के लिए 200 वर्षों से भी अधिक समय तक संघर्ष किया है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनकी आने वाली पीढ़ियां किसी की गुलाम बनकर न रहे और स्वतंत्र रूप से अपने अधिकारों का निर्वहन कर सके।