पर्यावरण एवं जन-जागरूकता कार्यक्रम का डीएम ने किया शुभारम्भ

पर्यावरण एवं जन-जागरूकता कार्यक्रम का डीएम ने किया शुभारम्भ

गाजीपुर। पर्यावरण एवं जन-जागरूकता कार्यक्रम वर्ष-2020-21 का गोष्ठी जिला पंचायत सभागार गाजीपुर में मुख्य अतिथि जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।

जिलाधिकारी पर्यावरण के बारे में उपस्थित लोगो को जानकारी देते हुए बताया कि पानी जितना हमारे लिए जरूरी है जितना की जीवन, पर्यावरण दो शब्दो से बना है परि+आवरण से मिलकर बना है। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का अर्थ घिरे हुए जो हमे चारो तरफ से घेरे हुए है। पृथ्वी पर पाये जाने वाले पेड़, जल, वायु, जीव-जन्तु का आवरण का पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण में जैविक अजैविक घटनाये एक दूसरे में क्रिया करते है उसे पर्यावरण कहते है। जिससे की पर्यावरण ठीक करने के लिए हमे अपना योगदान किसी भी रूप में देने का सत्त प्रयास करना चाहिए। पर्यावरण को साफ और स्वच्छ रखने में मद्द करनी चाहिए। पर्यावरण सम्बन्धित राजकीय विद्यालय के बच्चो द्वारा निबन्ध प्रस्तुत किया गया तथा जिलाधिकारी ने बच्चो को प्रथम, द्वितीय व तृतीय रूप में पुरस्कृत भी किया। पर्यावरण को जागरूक करने हेतु सामाजिक वानिकी निदेशक ने पी0के0मिश्रा (प्रवक्ता) व जिलाधिकारी को स्मृति चिन्ह (गमले में पौधा) एवं गमछा के साथ सम्मानित किया। नदी संरक्षण नगर निगमों के शोधित एवं अशोधित अपशिष्ट व औद्योगिक कचरेे से नदियॉ प्रदूषित होती है। नदियॉ चिरकाल से मानव सभ्यता की संवाहक रही हैं। प्राचीनतम सभ्यताएँ बड़ी नदियों के तट पर विकसित हुई । नदियॉ अपने प्रवाह क्षेत्र में रहने वाले करोड़ो मानव की जीवन रेखा है व 140 से अधिक जलीय प्रजातियों के लिये गंगा नदी ही वासस्थल है । सिंचाई के लिये भूजल का अन्धाधुन्ध दोहन तथा नदियों के किनारे बसे महानगरों एवं कारखानों से उत्सर्जित प्रदूषण जलीय अवशिष्ट के कारण नदियों का अस्तित्व संकट में पड़ गया है । गाजीपुर नगर गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है, जिसकी सीमा में गंगा नदी लगभग90 कि०मी० लम्बाई में बहती है जो कि गंगा नदी सूंस गंगेटिक डाल्फिन का आदर्श वास स्थल पाया गया है। विश्व की चार स्वच्छ जलीय डाल्फिनों में से एक गंगा रीवर डाल्फिन , गंगा के गहरे जल में मगरमच्छों, घडियालों , स्वच्छ जलीय कछुओं तथा आर्द्र प्रदेश के पक्षियों के साथ अपने जलीय वासस्थल का साझा करती हैं । इनकी उपस्थिति नदी के स्वच्छ एवं स्वस्थ पर्यावरणीय स्थिति का संकेतक है। पॉलीथीन के प्रयोग पर रोक लगाना पालीथी को नदी में प्रवाहित न किया जाय। इस अवसर पर जनपद के सम्मानित लाभार्थी एवं सम्बन्धित विभाग के कर्मचारी उपस्थित रहे।