ग़ाज़ीपुर। गर्भनिरोधक साधनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को प्रजनन स्वास्थ्य व परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 26 सितंबर को विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत 26 सितंबर 2007 से हुई थी। प्रजनन स्वास्थ्य जागरूकता और युवा पीढ़ी को इसके बारे में सही जानकारी देने के लिए इस दिन खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसी को लेकर महानिदेशक परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश डॉ अश्वनी कुमार ने समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र भेजकर गर्भनरोधक दिवस मनाए जाने के लिए दिशा-निर्देश दिये हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह ने बताया – इस दिवस को मनाने का उद्देश्य जनसंख्या स्थिरीकरण भी है। विश्व गर्भनिरोधक दिवस पर अस्पतालों व संस्थाओं की मदद से गर्भनिरोध के प्रति शहरों और ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक किया जाता है। शनिवार को सभी ब्लॉक पर गरीब कल्याण दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के कई स्टाल लगाए गए, जिसमें रविवार को मनाए जाने वाला सीएम आरोग्य स्वास्थ्य मेला भी शामिल था। इस दौरान गर्भनिरोधक सामग्री वितरित की गयी। सोमवार को आमजन में जागरूकता के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों और आशा के माध्यम से प्रचार-प्रसार सामाग्री वितरित की जाएगी।
एसीएमओ डॉ डीपी सिन्हा ने बताया कि विश्व गर्भनिरोधक दिवस एक अभियान है जिसका उद्देश्य गर्भनिरोधक साधनों के प्रति जन जागरूकता बढ़ाना और उनके विकल्पों के बारे में लोगों को जानकारी देना है।
डॉ के के वर्मा नोडल एनएचएम ने बताया कि यौन संबंध बनाने से पहले गर्भनिरोधक साधनों के बारे में अच्छी तरह से जानना स्वयं की सुरक्षा के साथ ही साथी की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। गर्भनिरोधक का उपयोग कैसे करना है। इस बारे में जानकारी हासिल करने में किसी तरह की शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए। वास्तव में, गर्भनिरोधक साधनों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए किसी अविश्वसनीय या अव्यवहारिक सूत्रों पर निर्भर रहने की बजाय किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिक्षक, माता-पिता या जिस व्यक्ति पर आप भरोसा करते हों, उनसे बात करनी चाहिए।
स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ तारकेश्वर ने बताया कि अनचाहे गर्भ से बचने के लिए और भी कई विकल्प हैं । यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई) और यूरिन इंफेक्शन (यूटीआई) से बचने के लिए कॉन्डम आदि गर्भनिरोधकों का उपयोग आवश्यक है, क्योंकि इस तरह की बीमारियों का खतरा महिलाओं को अधिक होता है। इसके अलावा पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), गर्भाशय फाइब्रॉयड्स और एंडोमेट्रियोसिस जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए भी बहुत सी महिलाओं को मौखिक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अप्रैल 2021 से अब तक 11058 महिलाओं ने अंतरा तिमाही गर्भ निरोधक इंजेक्शन, 18232 महिलाओं ने छाया साप्ताहिक गर्भ निरोधक गोली, 5193 महिलाओं ने कॉपर-टी एव 1.70 लाख कंडोम की सेवाएँ ली गई हैं।