मरदह।क्षेत्र के पौराणिक महत्व वाले धार्मिक स्थल महाहर धाम शिव मंदिर परिसर में सावन मास के प्रथम सोमवार को बाबा भोलेनाथ को हजारों की संख्या में कांवरिया व श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर मन चाही मुराद बाबा भोलेनाथ से मांगी।
मंदिर का दरवाजा रविवार रात्रि 12 :00 बजे खोला गया तत्पश्चात बाबा भोले नाथ का विशेष आरती पूजन विधि विधान मंदिर समिति द्वारा किया गया।जिसके भागी बनें पुलिस अधीक्षक डां अरविंद कुमार चतुर्वेदी,व ग्रामीण पुलिस अधीक्षक चन्द्रप्रकाश शुक्ल,मंदिर का कपाट खुलते ही बोल बंम हर हर महादेव की गूँज से सारा वातावरण शिवमय् हो गया।चारों ओर से सिर्फ शिवभक्तो कि जयकार ही सुनाई दे रही थी।बाबा के दर्शन के लालायित भक्तों को घंटों लाइन में लगकर अपनी अपनी बारी का इंतजार करना पङा।विशेष तौर पर भक्तगण सोमवार के दिन अधिक से अधिक संख्या में जलाभिषेक करके मन चाहा मुराद कि कामना करते हैं।हजारों की संख्या श्रद्धालु दर्शन पूजन जलाभिषेक करते हुए मेले का लुप्त उठाते हैं।मेला परिसर में मंदिर समिति व शासन प्रशासन द्वारा सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाता है।जिससे परिन्दा भी पर नहीं मार सका।आस्था और विश्वास का केंद्र है महाहर धाम जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर मरदह विकासखंड के सुलेमापुर देवकली गांव स्थित सिद्धपीठ शिवस्थली महाहर धाम भक्तों के लिए आस्था एवं विश्वास का एकमात्र केन्द्र है।इसकी एक अलग अपनी पहचान है।शिवस्थली के रूप में इसका नाम प्रमुखता से लिया जाता है।उत्तरी भाग पर स्थित इस धाम पर जहां महाशिवरात्रि पर भक्तों का रेला उमङता है।वही पूरे सावन माह मंदिर परिसर घंटों की आवाज से गुंजायमान रहता है।जहाँ पर एक तरफ पूरे पूर्वांचल के जिले सहित पड़ोसी राज्य के भी श्रध्दालु इस धाम पर पहुंचकर दर्शन पूजन कर बाबा भोलेनाथ से मन चाहा मुराद मांगते है।इस धाम कि ऐसी मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग का दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप कट जाते हैं।सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद भोले पूरी करते हैं।कहां जाता है कि इस धाम का निर्माण राजा दशरथ ने कराया था।यह महल दशरथ के गढ़ी के नाम से विख्यात है।वेदों व पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार श्रवण कुमार की यही पर राजा दशरथ के द्वारा चलाए गए शब्दभेदी वाण से मृत्यु हो गई थी।धाम के दक्षिण तरफ श्रवणडीह नाम का गांव भी विद्यमान है,जहां पहले से बनाया गया श्रवण कुमार का मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है।धाम परिसर में शिव मंदिर के अलावा भगवान हनुमान, भैरव-बाबा, संत रविदास, भगवान ब्रम्हा की चार मुखी प्रतिमा,माँ दुर्गा की प्रतिमा,राधा-कृष्ण,राम-लक्ष्मण – जानकी,की प्रतिमा सहित कई देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई है।तेरह मुखी मुख्य शिवलिंग के साथ ही शिव-पार्वती की युगल मूर्ति भी अद्भुत व पूजनीय है।मंदिर के सामने उत्तर से दक्षिण तरफ दिशा में एक किलोमीटर तक लम्बा सरोवर है,जहां हजारों वर्ष पहले इस स्थान पर माँ गंगा का प्रवाह था,जो अब पूरईन झील के रूप में रह गया है।सावन के प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक के लिए यहां कांवरियो का रेला उमङता है बाबा का आर्शीवाद पाने के लिए भक्तों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है।इसी तरह महाशिवरात्री के अवसर पर तीन दिन चलने वाले मेलों में भी दर्शनार्थियों सहित ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों लोगों द्वारा मेले का लुत्फ भी बढचढ कर ऊठाया जाता।सुरक्षा की दृष्टि से शासन प्रशासन द्वारा इंतजाम कङाा किया गया था।इस अवसर पर कासीमाबाद एसडीएम मंसा राम वर्मा, सदर एसडीएम सत्यप्रिय सिंह, सीओ कासीमाबाद महमूद अली, थाानाध्यक्ष शैलेश सिंह यादव, श्यामजी यादव, मेेेला प्रभारी नागेश्वर तिवारी सहित सैकङो गणमान्य लोग मौजूद रहे।