कंदवा(चन्दौली)। क्षेत्र के अरंगी गांव में चल रही रामलीला के सातवें दिन शुक्रवार की रात अंगद- रावण संवाद का मंचन किया गया। लंका के लोगों में दोबारा बन्दर आने की खबर से हाहाकार मच जाता है।श्रद्धालु अंगद-रावण संवाद का मंचन देख भावविभोर हो उठे।
शुक्रवार की रात लीला का आरंभ रावण को दरबार में श्रीराम के गुप्तचर आने व लंका पर चढ़ाई की सूचना से होता है। जिस पर रावण राम सेना पर हमला करने की घोषणा कर देता है। विभीषण अपने भाई रावण को समझाते हैं कि वे गलत कदम न उठाएं। राम साक्षात नारायण का रूप हैं और उन पर विजय नहीं पायी जा सकती है।रावण इसे अपना अपमान समझता है और वह विभीषण को कुलद्रोही कह कर भरी सभा से लात मारकर लंका से बाहर निकाल देता है। विभीषण भगवान श्रीराम की शरण में चले जाते हैं।इधर समुद्र पार कर सेना के लंका तक पहुंचने के लिए समुद्र पर पुल बनाने का निश्चय किया जाता है। समुद्र पर पुल बनाने के बाद पहले अंगद को संधि करने के लिए लंका भेंजने का निर्णय लिया जाता है। अंगद लंका पहुंच कर रावण से माता सीता को वापस लौटने और राम की शरण में जाने को कहते हैं लेकिन रावण सीता को वापस करने से मना कर देता है। तब अंगद श्रीराम का नाम लेकर दरबार में अपना पैर जमा कर कहते हैं कि लंका का कोई भी योद्धा पैर उठा दे तो वह रावण के साथ युद्ध नहीं करेंगे और बिना सीता के ही वापस लौट जाएंगे। लेकिन सभी राक्षस पैर उठाने में नाकाम होते हैं। इस पर रावण खुद अंगद का पैर को हटाने के लिए उठता है तो अंगद उन्हें प्रभु श्रीराम के पैर पकड़ने की सलाह देते हैं।उधर दोबारा बन्दर आने की सूचना से पूरे लंका के लोगों में खलबली मच जाती है। आरती के साथ लीला का समापन होता है।इस दौरान दिवाकर पाण्डेय, धन्वन्तरी पांडेय, चंद्रशेखर सिंह, अखिलेश सिंह, सिक्कू सिंह आदि लोग रहे।