
गाजीपुर। शहर के नखास इलाके में बुधवार को एक हृदयविदारक घटना सामने आई जिसने इंसानियत, प्रशासनिक सिस्टम और संवेदनशीलता — तीनों को कठघरे में खड़ा कर दिया। सीवर सफाई के दौरान दो मजदूरों की दम घुटने से मौत हो गई। न मास्क था, न ऑक्सीजन सिलेंडर, न कोई सुरक्षात्मक उपकरण — था तो बस अंधाधुंध लापरवाही और सिस्टम की बेरुखी।
पहले उतरा प्रहलाद, फिर उतरा वसीम — और फिर कोई ऊपर नहीं आया।
बलरामपुर निवासी प्रहलाद रोज़ी-रोटी की तलाश में गाजीपुर आया था। बुधवार को उसे सीवर की सफाई के लिए उतारा गया। कुछ ही मिनटों में वह ज़हरीली गैस की चपेट में आ गया और दम तोड़ दिया। उसे बचाने के लिए गाजीपुर कोतवाली क्षेत्र निवासी वसीम भी सीवर में उतरा, लेकिन वह भी बाहर नहीं आ सका। दोनों की लाशें लगभग दो घंटे की मशक्कत के बाद बाहर निकाली गईं।
सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं
घटनास्थल पर मौजूद लोगों का कहना है कि मौके पर कोई सुरक्षात्मक इंतजाम नहीं थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार:
“रस्सी डालकर शव निकालने की घंटों कोशिश होती रही, लेकिन कोई मास्क, सिलेंडर या प्रशिक्षित टीम नहीं थी। सब भगवान भरोसे था।”
स्थानीय लोगों का आक्रोश फूट पड़ा। लोगों ने सवाल उठाए — क्या मजदूर की जान इतनी सस्ती है कि उसे बिना सुरक्षा के गटर में उतार दिया जाए?
प्रशासन ने मानी लापरवाही
मुख्य राजस्व अधिकारी आयुष चौधरी ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि:
- मौत का कारण ज़हरीली गैस है।
- संबंधित ठेकेदार ने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया।
- जांच के आदेश दिए जा चुके हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
रेस्क्यू ऑपरेशन दो घंटे तक चला, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। घटनास्थल पर भीड़ उमड़ पड़ी, रोष और चीख-पुकार से माहौल गमगीन हो गया।
हर साल मरते हैं ऐसे मजदूर — पर कोई नहीं लेता ज़िम्मेदारी
यह घटना कोई पहली नहीं है। हर साल देशभर में ऐसे कई मजदूर सुरक्षा मानकों की अनदेखी के चलते जान गंवाते हैं। लेकिन ठेकेदारों की मनमानी और अधिकारियों की चुप्पी से न तो सिस्टम बदलता है, न ज़िम्मेदारों को सज़ा मिलती है।अब सवाल यह है कि क्या एक और ‘जांच’ के हवाले कर दिए जाएंगे ये शव? या इस बार किसी ठेकेदार और ज़िम्मेदार अफसर को वाकई जवाबदेह ठहराया जाएगा? प्रहलाद और वसीम की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं — ये सिस्टम की लापरवाही का पर्दाफाश है।