सुहवल । जिलाधिकारी को कहीं एनएचएआई के अधिकारी गुमराह तो नहीं कर रहे है । कारण कि जो विभागीय रिपोर्ट जिलाधिकारी कार्यालय को दी गई है ।उसमें पुल को वाहनों से कम खतरा जबकि उसके एप्रोच की जर्जर स्थिति का हवाला दे पुल की दयनीय स्थिति होने की बात कही गई है । जो क्षेत्रीय लोगों के गले नहीं उतर रही है । जबकि लोगों का कहना है एनएचएआई के अधिकारी अपनी कमी को छिपाने के लिए जर्जर एप्रोच होने का हवाला दे जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे है ।
जहाँ तक विभाग की बात पर यकीन किया जाए तो पुल का एप्रोच मार्ग पुल के काफी नजदीक होता है, जो पूरी तरह सेे दुरुस्त है ।अब इनका यह कहना है कि वाहनों के द्वारा एप्रोच के पास ब्रेक लगाना पुल को क्षतिग्रस्त कर रहा है जो बात हजम नहीं हो रही है । जबकि एनएचएआई सभी नियमों को ताख पर रख दिया है । फिर वही बात की सड़क निर्माण के लिए अनुमति मिली है। आखिर किसके दबाव में एनएचएआइ इतना बड़ा खतरा मोल रहा है ,इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इतने बड़े मामले पर जिला प्रशासन भी उदासीन बना हुआ है। इससे लोगों को आक्रोश बढ़ता जा रहा है। एनएचएआई एंबुलेंस एवं चार पहिया वाहनों से पुल को खतरा बता रहा है, लेकिन डंम्फर एवं प्रेशर रोलर को खुद वह सुरक्षित मान रहा है ।आखिर कहीं बडा हादसा हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा या फिर अगर एनएचएआइ इसको लेकर आश्वस्त है कि कोई हादसा नहीं होगा तो फिर छोटे वाहनों के लिए अनुमति क्यों नहीं मिल रही है। जबकि विभागीय अधिकारी वाहनों के संचालन को लेकर कुछ भी बोलने से साफ कतरा रहे है । इधर लोगों का यह भी कहना है कि जब से एनएचएआई के जिम्मे यह पुल आया है संम्बन्धित विभाग ने आज तक पुल की मरम्मत की बात तो दूर देखरेख रखना भी उचित नहीं समझे जो आज नतीजा सबके सामने है ।मालूम हो कि बीते 31 मार्च को हमीद सेतु के मरम्मत के बाद विभागीय इंजीनियरों ने तीन अप्रैल को पुल का निरीक्षण किया। इसमें पता चला कि पिलर एक व दो के मध्य ज्वाइंटर नंबर चार का भी रोलर बेयरिंग खिसक गया है। इसका मरम्मत कार्य भी अभी शुरू नहीं हुआ कि सड़क निर्माण के लिए राजमार्ग को मरम्मत के नाम पर संम्बन्धित विभाग के बडे वाहनों को आने-जाने की अनुमति भी दे दिया गया । एनएचएआइ ने जिला प्रशासन से 17 वाहनों के आने-जाने की अनुमति ली है, जबकि अन्य सभी छोटे वाहनों यहां तक कि एम्बुलेंस पर रोक लगा हुआ है। स्थानीय लोगों में इस बात पर और आक्रोश बढ़ता जा रहा है कि पिच लोडेड वाहनों, रोलर आदि को किसके दबाव में अनुमति दे दिया गया है। वहीं काफी मांग पर भी एम्बुलेंस तक के संचालन की अनुमति नहीं मिल रही है। सबसे बड़ा सवाल कि इन वाहनों के आवागमन के समय कोई हादसा हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? ।के बालाजी जिलाधिकारी ने बताया कि एनएचएआई के रिपोर्ट के अनुसार बार-बार पुल में दिक्कत भार से नहीं बल्कि वाहनों के एप्रोच के पास ब्रेक मारने से हो रही है।बताया कि विभागीय अधिकारियों के अनुसार एप्रोेच मार्ग की खराबी इसकी बड़ी वजह है। एेसे में एप्रोच मार्ग को जल्द बनवाकर पुल पर जाम को रोकना जरूरी है। रही बात एंबुलेंस की तो विशेष परिस्थिति में इसे भी आने-जाने दिया जाएगा।वैसे लोगों की परेशानियों को देेेेखते हुए जल्द ही छोटे चार पहिया वाहनों के संचाालन की अनुुुमति दी जायेेगी ।