सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान 10 से 22 जून तक चलेगा

सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान 10 से 22 जून तक चलेगा

ग़ाज़ीपुर। भारत को 2025 तक टीबी रोग से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ जिला क्षय रोग विभाग द्वारा एक बार फिर से टीबी सक्रिय रोगी खोज अभियान शुरू किया जाएगा। यह अभियान 10 से 22 जून तक चौथे चरण के रूप में चलाया जाएगा जिसमें कुल 111 टीमें गठित कर ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है।

इस क्रम में गुरुवार को टीबी केंद्र कासिमाबाद और जिला क्षय रोग कार्यालय में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया।जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ राजेश सिंह ने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी टीमें घर में मौजूद सभी सदस्यों से टीबी के लक्षणों के बारे जानकारी देंगी और साथ ही ऐसे व्यक्तियों के बलगम की जांच करेगी जिन्हे दो हफ्ते से अधिक खांसी आ रही हो। उन्होने बताया कि घर के हर सदस्य से बात करने का निर्णय इसलिए लिया गया ताकि कोई व्यक्ति छूटने न पाये। उन्होंने बताया कि टीबी का एक मरीज 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर देता है, इसलिए टीबी के मरीज के जल्दी पहचान होने के बाद तत्काल उपचार शुरू होना जरूरी है। इस कड़ी में यदि एक भी मरीज पहचान हुए बिना रह गया तो यह कड़ी टूट जाएगी।जिला क्षयरोग अधिकारी ने बताया कि सघन टीबी खोज अभियान के लिए 111 टीमों तैनात की गईं है जिसके लिए 22 सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं। इसके साथ ही जनपद के 8 मेडिकल ऑफिसर को नोडल अधिकारी के रूप में इस पूरे अभियान पर नजर रखने के लिए तैनात किया गया है।

जिला क्षयरोग अधिकारी ने बताया कि सभी टीमें जनपद में कुल 4.05 लाख लोगों से उपरोक्त सवाल पूछेगी। उन्होंने बताया कि सघन टीबी खोज अभियान के दौरान स्लम एरिया, घनी आबादी, दूर दराज के क्षेत्र, जेल और वृद्धाश्रमों पर खास फोकस रहेगा।हर टीमरोजाना 50 घरों में जाएगी। इसके बाद टीम घर के हर सदस्य से बात करके यह जानकारी जुटाएगी कि ‘घर में किसी को 15 दिन से बुखार या खांसी तो नहीं है’ ‘बलगम में खून तो नहीं आ रहा है’ या ‘फिर वजन तो नहीं गिर रहा है’, उपरोक्त में कुछ भी होने पर टीम बलगम का सेंपल लेगी और उसकी जांच भी कराएगी। यदि जांच में टीबी पाई गई तो मेडिकल सुपरवाइजर उस घर पर जाकर टीबी का उपचार शुरू करेगा।जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथिलेश सिंह ने बताया कि भ्रमण के दौरान जांच उपरांत यदि कोई टीवी का मरीज पाया जाता है तो उसे तत्काल इलाज पर रखा जाएगा जिसकी 6 माह तक दवा चलेगी और यदि एमडीआर का मरीज मिलता है तो उसको 24 से 30 माह तक दवा चलाई जाएगी। इस दौरान सभी मरीजों को डीबीटी योजना के तहत ₹500 प्रति माह का लाभांश भी दिया जाएगा।