ग़ाज़ीपुर। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के तहत नवजात को जन्म से लेकर 6 माह तक स्तनपान और उसके बाद स्तनपान के साथ ही ऊपरी आहार को लेकर ‘इंक्रीमेंट लर्निंग अप्रोच’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है जो क्रमशः 21 मॉड्यूल पर आधारित है।
गुरुवार को इन्हीं मॉडयूल में से एक मॉडयूल संख्या 15 ‘स्तनपान संबंधित समस्या में माता को सहयोग’ पर एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण विकास भवन कार्यालय सभागार में जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे की अध्यक्षता में हुआ।
इस प्रशिक्षण में जनपद के सभी ब्लॉकों से आई हुई बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) और मुख्य सेविकाओं को जिला स्वस्थ भारत प्रेरक जितेंद्र गुप्ता ने ‘स्तनपान कराते समय किस तरह की समस्याएं आ सकती हैं, जब एक स्वस्थ नवजात शिशु ठीक से स्तनपान न करें तब हमें क्या करना चाहिए, जब एक कमजोर नवजात शिशु स्तनपान नहीं कर पाए तब हमें क्या करना चाहिए’ आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान बताया गया कि जिन महिलाओं का बच्चा स्तनपान नहीं कर पाता है तो ऐसी स्थिति में हाथों से स्तन का दूध निकालने के विधियों के बारे में समुदाय की महिलाओं को बताया जाए। स्तन से निकाले गए और अधिक दूध को शिशु को कैसे पिलाएं इसको लेकर नाटक के माध्यम से सभी के सामने प्रस्तुतीकरण हुई। इस दौरान यह भी बताया गया कि कभी-कभी माता के स्तन में दूध जमा हो जाता है तो ऐसे वक्त में माताओं को अपने स्तन को गर्म, मुलायम और साफ स्वच्छ तौलिया से सेकें, बोतल का दूध न पिलाने आदि के बारे में भी समुदाय को जागरूक करें।
जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया कि वर्तमान में बहुत सी महिलाएं बच्चे को जन्म के बाद अपना दूध न पिलाकर डिब्बे के दूध या फिर अन्य दूध जैसे गाय व बकरी का दूध पिलाती हैं जिसके चलते बच्चे कमजोर हो जाते हैं और बहुतसे बच्चे कुपोषण का भी शिकार हो जाते हैं। इसलिए जरूरी है इस तरह के संदेश समुदाय में महिलाओं को दिये जाएँ ताकि वह जागरूक हो सकें।
• जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को माँ का गाढ़ा पीला दूध (कोलेस्ट्रम) आवश्यक रूप से पिलाना चाहिए। यह शिशु के लिए अमृत के समान होता है।
• छह माह तक सिर्फ माँ का दूध ही पिलाना चाहिए। छह महीने पूरे होने के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार देना बहुत जरुरी होता है, क्योंकि छह महीने के बच्चे की शारीरिक जरूरतें बढ़ जाती है, इसीलिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की शुरुआत करना अति आवश्यक है।
• बच्चे की शारीरिक हलचल बढ़ जाती है, जिसके लिए अधिक ताकत की आवश्यकता होती है, इसीलिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की जरुरत होती है।
• छह महीने तक बच्चे को माँ का ढूध सभी पोषक तत्व प्रदान करता है।