भारत की नारी वैदिक काल से महत्वपूर्ण योगदान देती रही हैं-मानस कोकिला रुची रामायणी

भारत की नारी वैदिक काल से महत्वपूर्ण योगदान देती रही हैं-मानस कोकिला रुची रामायणी

जमानिया। क्षेत्र के गांव लहुआर में आयोजित रामचरित मानस सत्संग के 43 वें वार्षिकोत्सव समारोह के विश्रामदिवस पर श्रीराम कथा का अमृत पान कराते हुए मानस कोकिला रुची रामायणी ने कहा कि भारत की नारी वैदिक काल से चारित्रिक रुप से ,विद्वता के क्षेत्र में और राजनीतिक एवं धार्मिक क्षेत्र में भी अति महत्वपूर्ण योगदान देती रही हैं और आज भी दे रही हैं।

सीताजी की चर्चा करते हुए रामायणी जी ने कहा कि एक दुर्दांत आततायी राक्षस के द्वारा हरण किये जाने के वावजूद उन्होंने असीम साहस एवं धैर्य के साथ अपने को अपने धर्म, देश और पतिदेव के प्रति अटूट निष्ठा को बनाए रखती हैं।रावण की तरफ जब सीताजी ने आँख उठाकर देखना भी गंवारा किया तो रावण का भी साहस नहीं हुआ कि वह सीताजी का अहित कर पाए। अपने ,शास्त्रों के साथ, संस्कृति के साथ और संस्कार एवं सभ्यता के साथ जुटने की आवश्यकता है,और यदि ऐसा होना शुरू हो गया तो समाज में फैली हुई निशाचरी संस्कृति का समूल नाश हो जाएगा।समारोह में पं. राधेश्याम तिवारी, रमाशंकर पाण्डेय, बुच्चा जी,नगदू महाराज और कैलाश यादव ने भी कथाअमृत पान कराया।कथामंच का संचालन सूर्यनाथ राय ने किया।