भूमि असंख्य जीवों की आत्मा है-उप कृषि निदेशक

भूमि असंख्य जीवों की आत्मा है-उप कृषि निदेशक

नगसर(गाजीपुर)। अन्तराष्ट्रीय विश्व मृदा दिवस पर आज ढढनी रणवीर राय के राम नरायन सिंह कुशवाहा के यंहा अन्तराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केन्द्र वाराणसी के तरफ से किसान एवं कृषि वैज्ञानिक संवाद गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका शुभारम्भ मुख्य अतिथि उप कृषि निदेशक मृत्युन्जय कुमार सिंह एवं विशिष्ट अतिथि कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू के प्रोफेसर डाक्टर यूपी सिंह ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलन कर किया ।

इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि मृत्युन्जय कुमार सिंह ने कहा कि किसान पशुपालन नहीं कर रहे हैं, जिससे कंपोस्ट खाद नहीं मिल पा रही है और अत्यधिक रसायनों के उपयोग से भूमि की पैदावार क्षमता घटती जा रही है। उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य को लेकर किसानों में जागरूक किया जा रहा है, मृत्युन्जय कुमार सिंह ने कहा कि मृदा परीक्षण करवाने के बाद किसान मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को दूर कर फसल की बुआई करें। कहा कि भूमि असंख्य जीवों की आत्मा है, इसलिए इसकी रक्षा जरूरी है। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को विश्व मृदा दिवस मनाने के कारण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, मृदा परीक्षण के लाभ, जिले के हर ब्लॉक में मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी है और उन पोषक तत्वों की कमी पूरी करने की जानकारी दी जा रही है, गोष्ठी में किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी दी गई। किसान गोष्ठी के दौरान उपस्थित किसानों ने सवाल भी पूछे, वहीं विशिष्ट अतिथि कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू के प्रोफेसर डाक्टर यूपी सिंह ने कहा कि मनाए जा रहे इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को मृदा स्वास्थ्य के लिए जागरूक करना है ,कहा कि रासायनिक पदार्थों के अंधाधुंध उपयोग से हो रहे मृदा प्रदूषण का प्रभाा व पर्यावरण एवं मनुष्य जीवन पर हो रहा है, कहा कि अन्तराष्ट्रीय विश्व मृदा दिवस, जनसंख्या विस्तार की वजह से बढ़ रही समस्याओं को उजागर करता है. इस वजह से मिट्टी के कटाव को कम करना जरूरी है और इस दिशा में काम करना आवश्यक है ताकि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. मिट्टी का निर्माण विभिन्न अनुपातों में खनिज, कार्बनिक पदार्थ और वायु से होता है. यह जीवन के लिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे पौधे का विकास होता है और यह कई कीड़ों और जीवों के लिए रहने की जगह है।
यह भोजन, कपड़े, आश्रय और चिकित्सा सहित चार आवश्यक ‘जीवित’ कारकों का स्रोत है. इसलिए, मिट्टी का संरक्षण आवश्यक है । वहीं इस अवसर पर आए हुए सभी आगंतुको को पौधे और भूमि क्षरण को रोकने एवं मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जैविक खाद संवर्धक भी वितरित किए गये, इस अवसर पर वाराणसी के मृदा वैज्ञानिक डाक्टर अजय कुमार मिश्रा, एस के सिंह, विजय कुमार सिंह, बाबू लाल मानव, मदन मोहन कुशवाहा, अरविन्द राय, रामबचन, शशिकांत ,सुरेंद्र सिंह, राम सेवक प्रजापति, सफात अंसारी, विनोद राम, बंशीधर दुबे ,गोपाल राय मौजूद रहे, कार्यक्रम की अध्यक्षता रवीन्द्रनाथ राय व संचालन सन्तोष सिंह कुशवाहा ने किया।