जमानियाँ। जनपद में गंगा सहित सभी नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण तटवर्ती इलाकों में दहशत बना हुआ है। कर्मनाशा का जलस्तर पहले से कम होकर स्थिर हो गया है तो वही गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है।
गंगा का जलस्तर शुक्रवार की रात में ही खतरे के निशान 63.105 को पार करके बाढ़ का पानी तटवर्ती इलाके में फैलने लगा है। गंगा के रौद्र रुप को देखकर तटवर्ती इलाकों के लोग काफी भयभीत हो गये है। गंगा में बढ़ाव जारी रहा तो तटवर्ती इलाकों में फसल डूब जायेगे तथा पशुओं को हरा चारा मिलना मुश्किल हो जायेगा। गंगा तीन सेमी प्रति घन्टे की रफ्तार से बढ़ रहीं हैं। सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 63.240 रहा तथा दोपहर दो बजे गंगा का जलस्तर 63.390 मीटर होगा गया। पॉच गंगा का जलस्तर 63.450 हो गया। ज्ञात हो कि 2019 में बाढ़ का उच्च जलस्तर 64.530 मीटर हो गया था। जबकि बाढ़ की स्थिति का मापदंड सामान्य जलस्तर 59.906 मीटर तथा चेतावनी बिंदु निम्न स्तर 61.550 मीटर व खतरा बिन्दु मध्य स्तर 63.105 मीटर है। बाढ़ का उच्च स्तर 65.220 मीटर है।
क्षेत्र के ग्राम हरपुर, मतसा, डुहिया, मलसा, देवरिया, बैरनपुर, खाँवपुरा, ताजपुर सिवान के निचले स्तर में बाढ़ का पानी आ गया है। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण सब्बलपुर बाड़, देवरिया बाड़ व मतसा बाड़ के गंगबरार में निवास करने वाले लोग पलायन के लिए मजबूर हो गये है। गृहस्थी के सभी समान संग जानवरो को लोग नाव से सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे है।
गंगा की विभीषिका को देखकर तहसील प्रशासन बाढ़ राहत कार्य के लिए गंगा और कर्मनाशा के लिए कुल 50 बाढ़ चौकियां बनाई गई है और तटवर्ती ग्रामों को अतिसंवदेदनशील‚ संवेदनशील और सामान्य श्रेणी में बांटा गया है। आंकड़ों के अनुसार गंगा नदी से प्रभावित होने वाले कुल गांव की संख्या 124 है। जिसमें से 23 अतिसंवेदनशील‚ 49 संवेदनशील और 52 सामान्य गांव है। जिसके सापेक्ष 37 चौकी स्थापित की गई है। वही कर्मनाशा नदी में अतिसंवेदनशील 3‚ संवेदनशील 11‚ सामान्य 18 गांव है। जिसके सापेक्ष 13 चौकी बनाई गई है। हांलाकि कर्मनाशा का जलस्तर थम गया है। राजस्वकार्मियों को नदी किनारे गांवों में भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग व पशुपालन विभाग भी टीम गठित कर बाढ़ चौकियों पर कर्मियों की तैनाती कर चुका है तथा मांग के अनुसार नाव आदि की व्यवस्था की गई है।