ग़ाज़ीपुर। राष्ट्रीय पोषण माह के तहत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) एवं यूनिसेफ के द्वारा कुपोषण दूर किए जाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया कि कुपोषित किशोरियों में कुपोषित मां बनने की संभावना अधिक होती है, जिससे कम वजन के बच्चों को जन्म देने की स्थिति अधिक होती है। किशोरियों की कम उम्र में शादी हो जाने व शारीरिक रूप से कमजोर होने पर गर्भावस्था में बहुत समस्याएँ आती हैं। कम अंतराल में दो से अधिक बच्चे पैदा करने में भी शरीर में पोषण की कमी को बढ़ाता है जो कि आगे बच्चों में भी जारी रहता है।
बच्चों में कुपोषण स्तर के स्थिर बने रहने का मुख्य कारण महिलाओं के गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था के दौरान कुपोषित होना है। इसके लिए पोषण विभाग व यूनिसेफ इंडिया की ओर से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। यूनिसेफ का लक्ष्य महिलाओं के लिए पांच आवश्यक पोषण के प्रयासों की व्याप्ति को और अधिक व्यापक बनाने पर ध्यान केंद्रित करना है।
यूनिसेफ के डिस्ट्रिक्ट मोबिलाइजेशन कोऑर्डिनेटर (डीएमसी) अजय उपाध्याय ने बताया कि घरों में खाए जाने वाले भोजन की मात्रा और पोषक स्तर में सुधार करना। इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से स्थानीय आहार, उत्पादन और घरेलू व्यवहार में सुधार के लिए जानकारी प्रदान करना है।
2- सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और एनीमिया को रोकथाम के लिए आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंट, कृमि-निवारण, गर्भ धारण के पहले और बाद में फोलिक एसिड पूरक प्रदान करना, आयोडीन-युक्त नमक के लिए सर्वगत पहुँच, मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में मलेरिया की रोकथाम और उपचार, गर्भावस्था के दौरान तंबाकू उत्पादों का उपयोग न करने के लिए जानकारी और सहायता तथा मातृत्व के लिए जरूरी कैल्शियम व विटामिन ए सप्लीमेंट तक पहुंच प्रदान करता है।
3. बुनियादी पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक महिलाओं की पहुँच बढ़ाना, गर्भावस्था के शुरुआत में ही पंजीकरण और प्रसवपूर्व जांच की गुणवत्ता प्रदान कराना, गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ाने की निगरानी, जांच और जोखिम वाली माताओं की विशेष देखभाल के साथप्रदान किया जाता है।
4. पानी और स्वच्छता संबंधी शिक्षा तथा सुविधाओं तक पहुंच में सुधार, यह सफाई और स्वच्छता (साथ ही मासिक धर्म संबंधी साफ-सफाई) के बारे में शिक्षा प्रदान करके किया जाता है।
5. महिलाओं को बहुत जल्दी, बार-बार और कम अंतराल में गर्भधारण को रोकने के लिए सशक्त बनाना। जागरूकता के माध्यम से 18 वर्ष की आयु के पश्चात विवाह करने और एक लड़की को कम से कम माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करना; परिवार नियोजन, प्रजनन स्वास्थ्य सूचना, प्रोत्साहन और सेवाओं के माध्यम से पहली गर्भावस्था और पुनः गर्भधारण में देरी करके मातृत्व क्षमता में होने वाली कमी को रोकना, महिलाओं के लिए मातृत्व अधिकार के हिस्से के रूप में सामुदायिक सहायता प्रणाली, कौशल विकास, आर्थिक सशक्तीकरण को भी बढ़ावा देना,साथ ही महिलाओं को निर्णय लेने, आत्मविश्वास निर्माण, कौशल विकास और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सामुदायिक सहायता प्रणाली प्रदान करना।