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जमानिया। अधिवक्ताओं के हितों पर गहरी चोट पहुंचाने वाले एडवोकेट अमेंडमेंट बिल का विरोध तेज हो गया है। स्थानीय अधिवक्ताओं ने महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भेजकर इस बिल को अधिवक्ता समुदाय के अधिकारों पर सीधा हमला बताया और इसके प्रावधानों को निरस्त करने की मांग की।
ज्ञापन में कहा गया है कि एडवोकेट एक्ट 1961 में प्रस्तावित संशोधन से अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता प्रभावित होगी। इसमें बार काउंसिल में सरकारी हस्तक्षेप, हड़ताल पर प्रतिबंध, अधिवक्ताओं पर आपराधिक मुकदमे का खतरा और पंजीकरण रद्द करने के सख्त प्रावधान शामिल हैं। इसके अलावा, अधिवक्ताओं ने सरकार पर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू न करने, आयुष्मान भारत योजना में अधिवक्ताओं को शामिल न करने, बुजुर्ग अधिवक्ताओं को पेंशन और युवा अधिवक्ताओं को प्रोत्साहन राशि न देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तब इस तरह का संशोधन अधिवक्ताओं को कमजोर बनाने की साजिश है। अधिवक्ताओं ने महामहिम राष्ट्रपति से बिल को निरस्त करने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने कहां है कि बार कौंसिल ऑफ़ उत्तर प्रदेश के दिशा निर्देश के अनुसार अग्रिम कार्रवाई के लिए हम लोग एकजुट होकर संघर्ष करेंगे। इस अवसर पर अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह, सचिन अमरनाथ राम, पूर्व अध्यक्ष गोरखनाथ सिंह, पूर्व सचिव कमलकांत राय, उदय नारायण सिंह, मेराज हसन, फैसल होदा, जयप्रकाश राम, मुनेश सिंह, दिग्विजय नाथ तिवारी, मिथिलेश सिंह, ज्ञान सागरश्रीवास्तव, बृजेश कुशवाहा, रवि प्रकाश, सुनील कुमार, बृजेश ओझा, घनश्याम कुशवाहा, संजय यादव, रमेश यादव कई अधिवक्ता शामिल रहे हैं।