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गाजीपुर के जमानियां से इस्लाम की बुनियाद पांच स्तंभों पर टिकी है जिसमें तौहीद,नमाज़, रोज़ा, ज़कात और हज शामिल हैं। रमजान में रोजा रखना,रोजेदार की कदर करना, रोजेदार का एहतिराम करना भी अल्लाह ने इबादत बताया गया है। इसकी जानकारी नसीर अहमद ने दी। उन्होंने बताया कि मुस्लिम धर्म में रमज़ान का महीना बेहद खास है। जिसकी शुरूआत 12 मार्च से होने वाली है। रमज़ान का चांद 11 मार्च को दिखाई दिया। और 12 मार्च पहला रोज़ा रखा गया। है। रमज़ान का महीना हर मुसलमान के लिए खास है। रमज़ान के महीने में रोज़ा रखना फर्ज़ (अनिवार्य) है। रमज़ान इस्लामी कलेंडर का नवां महीना है। जिसमें पूरे माह अल्लाह की इबादत की जाती है। ये वो महीना है। जिसमें इंसान झूट, फरेब और धोखे से दूर रहता है। पांच वक्त की पाबंदी से नमाज पढ़ता है। 30 रोजे़ रखता है। और इस्लाम धर्म के एक और पिलर यानि ज़कात देता है। माना जाता है कि खुद को पाक करने का महीना है रमजान। नसीर ने बताया कि रमजान में अपनी जिंदगी का आधार मानकर चलना चाहिए। माना जाता है कि इस पूरे महीने की इबादत आप को अल्लाह के करीब लेकर जाती है। पूरे साल किए गए गुनाहों को खुदा से माफ कराने का महीना है माह ए रमज़ान है। माह ए रमज़ान में रोज़ा रखना, रोज़ेदार की कदर करना, रोज़ेदार का एहतिराम करना भी अल्लाह ने इबादत बताया है। रमज़ान का महीना रोज़े रखने और गरीबों को ज़कात देने का महीना है। उन्होंने कहा कि रमजान आया है। खुदा की रहमतें और बरकतें लेकर। दुआओं में याद रखने का पाक महीना, खुशियां नसीब हो-जन्नत नसीब हो, तू चाहे जिसे वो तेरे करीब हो। कुछ इस तरह हो करम अल्लाह का, मक्का और मदीना की जियारत नसीब हो। फरिश्ते कह रहे हैं परवरदिगार से
सूरज शिकस्त खा गया है रोज़ेदार से माहे रमजान में ये इफ्तार और सहरी का इंतजाम है। निशान रूह का सामान बराए खास व आम, चांद से रोशन हो रमजान तुम्हारा, इबादत से भर जाए रोजा तुम्हारा। हर नमाज हो कबूल तुम्हारी, बस यही दुआ है खुदा से हमारी। कुछ इस कदर पाक हो रिश्ता तेरे मेरे दरमियां