जमानिया। तहसील के सामने रामलीला मंच पर सोमवार को तीसरे दिन भी व्यापारियों ने ट्रेड लाइसेंस शुल्क के विरोध में अनिश्चितकालीन क्रमिक धरना प्रदर्शन जारी रखा। व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो वे नगर में संचालित अपने व्यवसाय बंद करने को मजबूर होंगे।
व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश जायसवाल ने कहा कि ट्रेड लाइसेंस शुल्क व्यापारियों पर अनुचित बोझ डालेगा और यदि इस शुल्क को वापस नहीं लिया गया, तो हम आंदोलन को तेज करेंगे। एक-एक दिन नगर में संचालित अलग-अलग व्यवसायों को बंद कर विरोध जताया जाएगा। यदि फिर भी मांगे नहीं मानी गई तो नगर में संचालित सभी 135 व्यवसाय को बंद किया जाएगा। सभासद सचिन वर्मा ने कहा कि यह शुल्क व्यापारिक गतिविधियों को हतोत्साहित करेगा, विशेष रूप से छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारियों को, जो पहले से ही कई करों का बोझ झेल रहे हैं। व्यापारियों ने बताया कि वे पहले ही पानी, प्रॉपर्टी टैक्स, जीएसटी, इनकम टैक्स जैसे कई करों का भुगतान कर रहे हैं। इस नए शुल्क से उनकी आय पर अतिरिक्त प्रभाव पड़ेगा, जिससे व्यापार करना मुश्किल हो जाएगा। उपाध्यक्ष सरफराज अंसारी ने कहा कि किसी भी जगह के उत्थान के लिए व्यापारी ही जिम्मेदार होते है। व्यापारियों को सुविधा और छूट मिलने पर ही व्यापार फलता फूलता है। व्यापारियों को परेशान करने से क्षेत्र का नुकसान होता है। उन्होंने व्यापारियों की एकजुटता पर आभार जताया। इस अवसर पर विंध्याचल शर्मा‚ अजय जायसवाल‚ अनिल कुमार गुप्ता‚ रजत सिंह‚ अरविन्द गोश्वामी‚ शंकर गोश्वामी‚ विकास जायसवाल‚ सुनील गुप्ता‚ रवि वर्मा‚ लक्ष्मी अग्रहरी‚ अनिल गुप्ता‚ पंकज निगम‚ ओम प्रकाश निगम‚ रिंकू जायसवाल‚ वीरेन्द्र मौर्य‚ जाहीद सिद्दीकी‚ लाखन वर्मा‚ कृष्ण कुमार वर्मा‚ अजहर खां‚ भोला अहमद‚ प्रदीप चौरसिया‚ प्रीतम गुप्ता‚ सोनू वर्मा‚ जितेन्द्र वर्मा‚ नवीन वर्मा आदि दर्जनों लोग मौजूद रहे। व्यापारियों ने प्रशासन से तत्काल शुल्क वापस लेने की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा।
प्रशासनिक प्रक्रिया पर उठे सवाल
समाजसेवी नारायण दास चौरसिया ने सवाल उठाते हुए कहा कि 27 नवंबर को प्रकाशित गजट में 7 मार्च 2024 को बोर्ड की बैठक में शुल्क प्रस्ताव पारित दिखाया गया है, जबकि 31 अगस्त 2024 को एजेंडा नंबर चार में इस पर दोबारा चर्चा की बात कही गई है। उन्होंने पूछा कि यदि पहले ही प्रस्ताव पारित हो गया था, तो दोबारा चर्चा की क्या आवश्यकता थी? चौरसिया ने गजट में दंड प्रावधान पर भी आपत्ति जताई, जिसमें शुल्क न देने वालों पर ₹1,000 जुर्माना और छह माह की सजा का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान अनुचित है और व्यापारियों पर अनावश्यक दबाव डालता है।
व्यापार बंद करने की चेतावनी
धरने में शामिल व्यापारियों ने साफ कहा कि अगर प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे नगर में संचालित अपने अपने व्यवसाय बंद करने का कदम उठाएंगे।