गर्भ निरोधक साधनों की महत्ता व उपयोगिता पर दो दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ समापन

गर्भ निरोधक साधनों की महत्ता व उपयोगिता पर दो दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ समापन

गाजीपुर। खुशहाल परिवार के लिए गर्भनिरोधक साधनों की महत्ता व उपयोगिता को लेकर जनपद की समस्त एएनएम, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सी एच ओ) और स्टाफ नर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में मंगलवार को इसका समापन हुआ । प्रशिक्षण एसीएमओ एवं नोडल अधिकारी (एनएचएम) डॉ के के वर्मा की अध्यक्षता में दिया गया। जनपद के 17 ब्लॉक के स्वास्थ्य कर्मियों का 20-20 का बैच बनाकर जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
एसीएमओ डॉ वर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए आए लोगों को मुख्यालय से भेजे गए वीडियो के माध्यम से गर्भनिरोधक पर बनी लघु फिल्म के द्वारा प्रशिक्षण देने का काम किया गया। इस दौरान उन्हें गर्भनिरोधक के जितने भी संसाधन हैं, उनके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। उन्हें स्वस्थ जच्चा-बच्चा के लिए बच्चों में तीन साल के अंतर के बारे में बताया गया जिसके लिए उन्हें आईयूसीडी, अंतरा इंजेक्शन, माला एन गोली, छाया साप्ताहिक गोली, कंडोम के बारे में जानकारी दी गई । प्रशिक्षण पाने वाले अब अपने ब्लाकों में जन समुदाय और केंद्र पर आने वाले लाभार्थियों को इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देंगे ।
डॉ वर्मा ने बताया कि आईयूसीडी (380A) 10 साल के लिए और आईयूसीडी (375) पाँच साल के लिए प्रभावी है। इसको लगवाने के तुरंत बाद से इसका प्रभाव दिखने लगता है और निकलवाने के बाद महिला गर्भधारण कर सकती है। आईयूसीडी लगवाने के बाद पहले दो से तीन महीने तक ज्यादा रक्त स्राव हो सकता है, पेडू में दर्द हो सकता है लेकिन यह एक सामान्य प्रक्रिया है। गंभीर समस्या होने पर नजदीकी केंद्र पर चिकित्सक को जरूर दिखाएँ। वहीं अंतरा इंजेक्शन के बारे में बताया कि यह तिमाही इंजेक्शन है, जिसे लगवाने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर से जांच करवाना आवश्यक है। इसे लगवाने के बाद से ही इसका प्रभाव दिखने लगता है और निर्धारित समय पर लगवाने से इस की प्रभावशीलता बनी रहती है। इसे लगवाने के बाद माहवारी में कुछ बदलाव जैसे कम या ज्यादा आना, या महावारी का आना बंद हो सकता है, जो सामान्य प्रक्रिया है।
उन्होंने बताया कि छाया गोली को स्तनपान कराने वाली माताएं भी उपयोग कर सकती हैं। एनीमिया से ग्रसित महिलाओं के लिए लाभकारी है, क्योंकि छाया खाने के बाद माहवारी थोड़ी कम होती है व ज्यादा अंतराल पर होती है।
डॉ वर्मा ने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत शासन द्वारा लाभार्थियों को प्रतिपूर्ति राशि और आशा कार्यकर्ता को प्रोत्साहन राशि दी जाती है । इसमें महिला नसबंदी पर 2000 और आशा को 300 रुपये, प्रसव पश्चात महिला नसबंदी पर 3000 रुपये और आशा को 400 रुपये, पुरुष नसबंदी पर 3000 रुपये और आशा को 400 रुपये, प्रति अंतरा इंजेक्शन पर 100 रुपये और आशा को 100 रुपये, प्रसव पश्चात आईयूसीडी के लिए 300 रुपये और आशा को 150 रुपये व गर्भपात पश्चात आईयूसीडी पर 300 रुपये और आशा को 150 रुपये देय है।