गाजीपुर के ज़मानियां नगर कस्बा बाजार स्थित शाही जामा मस्जिद , लोदीपुर मोहल्ला स्थित नूरी मस्जिद, बंदेली खान की मस्जिद से लेकर अमानत खान की मस्जिद में अलविदा जुम्मे की नमाजियों से भरा रहा। बताया जा रहा है। की माहे मुबारक रमज़ान का आज पहला जुम्मा और चौथा जुमा को अलविदा जुमा के दिन शाही जामा मस्जिद की कोने कोने नमाजियों से भरा रहा। जुम्मे का दिन वैसे ही मुसलमानों के लिए बहुत फ़ज़ीलत वाला माना जाता है। और रमज़ान का जुम्मा तो मतलब और भी ज्यादा पाकीजा और मुकद्दस दिन माना गया है। हम आपको रमजान के जुम्मे की फ़जीलत बयान करने जा रहे हैं। इस दिन कसरत से नबी ए करीम पर दुरूद शरीफ का नज़राना भी पेश की गई। सैकड़ों की संख्या में नमाजी अलविदा जुम्मा की नमाज को अदा किया। रमजान के जु्म्मे का महत्व जुम्मे के दिन को छोटी ईद कहा जाता है। मान्यताओं के मुताबिक जुम्मे के दिन को सारे दिनों को सरदार कहा जाता है। उलमा बताते है कि गैर रमजान में एक जुम्मे की नमाज अदा करने से 40 नमाज अदा करना का सवाब मिलता है। ऐसे में रमजान के पाकीजा महीने में आने वाले जुम्मे का महत्व का तो आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। कहा जाता है कि अलविदा जुम्मा की नमाज अदा करने से अल्लाह उस बंदे के हर तरह के पाप को माफ कर देता है और उसकी हर दुआ कुबूल होती हैं। अलविदा जुम्मे के दिन को छोटी ईद कहा जाता है। हफ्ते का पांचवा दिन शुक्रवार मुस्लिम बंधुओँ के लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन को जुम्मा कहा जाता है। जुम्मे की नमाज के बाद मुस्लिम भाई एक दूसरे को मुबाकरबाद देते हैं। इस दिन मुस्लिम नहा धोकर नये कपड़े पहनकर इत्र लगाकर अलविदा जुम्मे की नमाज शुक्रवार की दोपहर में अदा की गई। कई किताबों में जुमे के दिन को छोटी ईद भी कहा जाता है। इस दिन नमाज से पहले एक खास खुत्बा पढ़ा जाता है। जुमे के दिन की कुरान और हदीस में बड़ी फजीलत बयान की गई है। रमजान में बीवी को चूमना, गले लगाना कैसा है। मुसलमान अलविदा जुम्मा की बात इस दिन पूरी दुनिया के मुसलमान खास तौर पर जुम्मे की नमाज अदा करते हैं। इस दिन दुरूद शरीफ पढ़ने का बहुत ज्यादा सवाब है। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोतवाली प्रभारी श्याम जी यादव मय पुलिस कर्मियों के संग भ्रमण करते रहे।