
गाजीपुर। पीजी कॉलेज गाजीपुर में आयोजित पूर्व शोध प्रबंध प्रस्तुति संगोष्ठी में कृषि विज्ञान संकाय के शोधार्थी यशवंत कुमार पटेल ने अपने शोध “छत्तीसगढ़ में केसिया टोरा, रोसेली की पत्तियां और शकरकंद की पत्तियों जैसी पारंपरिक हरी भाजियों के प्रसंस्करण, संरक्षण और खपत को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास और मानकीकरण” प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि उनके शोध के निष्कर्षों से पता चला है कि इन तीन पारंपरिक पत्तेदार सब्जियों में कई औषधीय गुण मौजूद हैं, जो गंभीर बीमारियों से बचाव और उपचार में सहायक हो सकती हैं।
यशवंत कुमार पटेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ के जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्रों में इन पत्तियों का पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाता है। ये पत्तियां कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, विटामिन ए और सी जैसे पोषक तत्वों के साथ-साथ फ्लेवोनोइड्स, सेनोसाइड्स, एंथोसायनिन और पॉलीफेनॉल्स जैसे जैव सक्रिय यौगिकों से भरपूर होती हैं। उन्होंने दावा किया कि इन पत्तियों का नियमित सेवन शुगर, उच्च रक्तचाप, किडनी की समस्या, हृदय रोग, लीवर संबंधी बीमारियां, त्वचा रोग और शरीर में सूजन जैसी समस्याओं में अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट यकृत को सुरक्षा प्रदान करते हैं, जुलाब की तरह कार्य करते हैं और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। शोध में पाया गया कि केसिया टोरा की पत्तियों में आहार फाइबर, लोहा और विटामिन ए की मात्रा अधिक होती है, जबकि रोसेली की पत्तियों में विटामिन सी और पॉलीफेनॉल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। शकरकंद की पत्तियां बीटा-कैरोटीन और एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत हैं।
पोषक तत्वों को संरक्षित रखने के लिए सुखाने की विभिन्न विधियों का अध्ययन किया गया, जिसमें 55 डिग्री सेल्सियस पर कैबिनेट सुखाने की विधि सबसे प्रभावी पाई गई। किण्वन प्रक्रिया से पत्तियों की जैव उपलब्धता और प्रोबायोटिक गुणों में वृद्धि देखी गई। पत्तियों को पाउडर के रूप में संसाधित करने की तकनीक भी विकसित की गई, जिससे उन्हें ऑफ-सीजन में भी उपयोग किया जा सके। शोध में इन पत्तियों से छह प्रकार की पारंपरिक भाजियां तैयार की गईं और उनके भौतिक-रासायनिक गुणों, स्वाद और उपभोक्ता स्वीकृति का मूल्यांकन किया गया। केसिया टोरा और शकरकंद की पत्तियों से सूप बनाने की विधि भी मानकीकृत की गई। ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में किए गए उपभोक्ता परीक्षणों में पारंपरिक भाजियों को काफी पसंद किया गया, वहीं मूल्य संवर्धित उत्पादों जैसे सूप और पाउडर मिश्रण को भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। शोधार्थी यशवंत कुमार पटेल ने बताया कि यदि केसिया टोरा, रोसेली और शकरकंद जैसी पारंपरिक हरी पत्तेदार सब्जियों को वैज्ञानिक रूप से संसाधित और प्रचारित किया जाए, तो वे ग्रामीण आबादी के लिए पौष्टिक, उपचारात्मक और सशक्त बनाने वाले खाद्य पदार्थ बन सकती हैं। संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रो. जी. सिंह, शोध निर्देशक डॉ. कृष्ण कुमार पटेल सहित अनेक प्राध्यापक, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। प्राचार्य प्रो. पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान की। संचालन डॉ. जी. सिंह ने किया और अंत में इंजी. विपिन चंद्र झा ने आभार व्यक्त किया।