
जमानियां। स्टेशन बाजार में डॉ. सुरेश राय के संयोजन में उनके आवास पर सौरभ साहित्य परिषद द्वारा हिंदी और भोजपुरी कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। परिषद के संस्थापक और वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जमानियां के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री रहे।
प्रो. शास्त्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि कवि जीवन की अनुभूतियों को अपने शब्दों के माध्यम से व्यक्त करता है, जिससे लोक और शिष्ट साहित्य को संग्रहणीय कृतियां प्राप्त होती हैं। उन्होंने कविता को समाज के लिए उपयोगी बताते हुए सृजनशीलता को बढ़ावा देने की बात कही। श्री नागा बाबा इंटर कॉलेज आरी सीतापट्टी गाजीपुर के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य कामेश्वर द्विवेदी ने जब सस्वर पाठ किया— “मंजरी मरंद गंध उड़ती पवन संग धरती है रंग जाती वासंती के रंग में।” तो श्रोताओं ने तालियों से उनका उत्साहवर्धन किया। उनकी भोजपुरी रचना “बा उदासल आज मोर जिउआ कहवां हेराइल हमार नीक गउऑ” को भी खूब सराहा गया। रामपुकार सिंह “पुकार गाजीपुरी” ने बसंत पर अपनी रचना प्रस्तुत की— “वसंत आए तो मन भी वसंत हो जाए, प्रकृति से प्रेम मन ही मन अनंत हो जाए।” जिसे श्रोताओं ने खूब पसंद किया। कलकत्ता से आए सुकंठ कवि नागेंद्र कुमार दुबे ने अपनी प्रस्तुति— “दिल में बसे हो मेरे प्रभु राम, तुम ही बताओ मैं क्या करूं?” से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उनकी अन्य कविताएं, जो माटी, बोली-भाषा, खेती-किसानी और मानवीय संबंधों पर केंद्रित थीं, भी दर्शकों को खूब भायीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र सिंह ने अपनी कविता— “जोर से ओके बोलाव आदमी बा, नेह के दियना जराव आदमी।” जब अपने अंदाज में पढ़ी, तो श्रोताओं की वाह-वाह से पूरा माहौल गूंज उठा। अंत में कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सुरेश राय ने सभी साहित्यकारों, श्रोताओं और अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। आयोजन में साहित्य प्रेमियों की भारी उपस्थिति रही और सभी ने कवियों की प्रस्तुति को सराहा।