हिंदी सर्व सक्षम सखे, हिंदी है वरदान,अ से अंधियारा मिटे, ज्ञ से आए ज्ञान-प्रो.अरुण

हिंदी सर्व सक्षम सखे, हिंदी है वरदान,अ से अंधियारा मिटे, ज्ञ से आए ज्ञान-प्रो.अरुण

जमानियां। स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय संगोष्ठी कक्ष में आज हिंदी दिवस मनाया गया।

इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने कहा कि हिंदी शिक्षा और बाजार इन दो मोर्चों पर लड़ती हुई लहूलुहान है। वैश्विक स्तर पर यदि देखें तो हम पाते हैं कि सर्वोच्च स्थान पर उनकी राष्ट्र भाषा ही है।अपने देश में अपनी ही मातृभाषा राजनीति की शिकार हो गई।यदि हम सच्चे अर्थों में हिंदी को स्थापित करना चाहते हैं तो हमें कार्यपालिका व्यवस्थापिका न्यायपालिका एवं संवैधानिक हर व्यवस्था में भाषागत विभेद से किनारा कसते हुए हिंदी को व्यवहारिक रूप से राजकाज की भाषा बनाने की जरूरत है। तभी हम हिंदी के साथ न्याय और राष्ट्रहित का संधान कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यदि मैं पूर्व प्राचार्य रुड़की प्रो.योगेन्द्रनाथ शर्मा “अरुण”जी से से उधार लेकर हिंदी की उपादेयता प्रमाणित करना चाहूं तो कह सकता हूं कि ” हिंदी सर्व समर्थ सखे,हिंदी है वरदान, अ से अंधियारा मिटे ज्ञ से आए ज्ञान।”
हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अंगद प्रसाद तिवारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति की स्वीकृति के एक वर्ष की अल्प अवधि में चिकित्सा एवं अभियांत्रिकी की पढ़ाई हिंदी में होना यह बताती है कि हमारी भाषा सक्षम थी लेकिन कुचक्र द्वारा इसे रौंदने का षडयंत्र किया गया।नई शिक्षा नीति में चयन मूलक स्वतंत्रता से अब विषय थोपने की गलत व्यवस्था पर विराम लग जाएगा।
राजनीतिविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ मदन गोपाल सिंहा ने हिंदी की विकास यात्रा पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए भारतेंदु हरिश्चंद्र एवं प्रेमचंद की हिंदी सेवा को आधुनिक हिंदी साहित्य के निर्माण में उनके योगदान को याद करते हुए अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। संस्कृत विभाग की अध्यक्ष डॉ विमला देवी ने हिंदी के उत्थान को देश राष्ट्र का उत्थान बताते हुए हिंदी को समृद्ध करने की आवश्यकता पर दिया।कार्यक्रम के उपरांत महाविद्यालय मुख्य द्वार पर शिक्षार्थियों को हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अखिलेश कुमार शर्मा शास्त्री ने हिंदी के प्रयोग उसके संवर्द्धन एवं उन्नयन हेतु सभी को शपथ दिलाई।


कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ शरद कुमार ने एवं संचालन इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संजय कुमार ने किया। इस अवसर पर डॉ कंचन कुमार राय, डॉ मातेश्वरी प्रसाद सिंह, डॉ अमित कुमार सिंह, अवधेश कुमार राव, प्रदीप कुमार सिंह आदि उपस्थित रहे।