गाजीपुर के जमानियां नगर कस्बा बाजार स्थित पक्का घाट के गंगा नदी में सैकड़ों श्रद्धालु महिलाएं एवं पुरुषगण मकर संक्रान्ति पर्व पर डुबकी लगाई। और गरीबों में पुण्य दान की इस दौरान गंगा घाट के आस पास मेले का आयोजन किया गया। जिसमें खिलौना की दुकानें सजी रही। इस दौरान ठंड को देखते हुए। पक्का घाट के पास स्नान करने वालों को स्थानीय सेंट्रल पब्लिक स्कूल के स्टाफ कर्मियों द्वारा चाय पिलाने की व्यवस्था में लगे रहे। बताया जाता है। की मकर संक्रांति हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह पर्व पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है जब भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। तब मकर संक्रान्ति को मनाया जाता है। यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता है। पर कभी-कभी यह त्योहार 15 जनवरी को भी पड़ता है। यह इस बात पर निर्भर करता है। कि सूर्य कब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस दिन सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होती है। और इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं। सुरक्षा को लेकर पक्का घाट पर उपनिरीक्षक राम प्रकाश तिवारी ड्यूटी पर तैनात रहे। हालांकि पुजारी उद्धव पांडेय ने बताया कि संक्रांति तब शुरू होती है। जब सूर्य देव राशि परिवर्तन कर मकर राशि में पहुंचते हैं। इस बार सूर्य देव 15 जनवरी की प्रातःकाल 2 बजकर 54 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर रहें हैं। इस लिए 15 जनवरी सोमवार को मकर संक्रांति मनाई गई। इस दौरान दिन गंगा स्नान, पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है। शास्त्रों में निहित है कि मकर संक्रांति तिथि पर सूर्य देव उत्तरायण होते हैं। यह समय देवताओं के लिए दिन का होता है। इस दौरान प्रकाश में वृद्धि होती है। धार्मिक मत है कि मकर संक्रांति तिथि पर स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन स्नान के उपरांत सूर्य सहित नवग्रहों की पूजा और भगवान विष्णु की पूजा के बाद दान आरंभ करना चाहिए। उन्होंने कहा की मकर संक्रांति के दिन तिल और खिचड़ी का दान बहुत ही शुभ माना गया है। दान का समय सुबह 7 बजे से सूर्यास्त पूर्व तक रहेगा। और ज़रुरतमंदों को खिचड़ी, गुड़, काले तिल,ऊनी कपड़े आदि दान करना चाहिए। मकर संक्रान्ति से सूर्य के उत्तरायण होने पर देवताओं का सूर्योदय होता है और दैत्यों का सूर्यास्त होने पर उनकी रात्रि प्रारंभ हो जाती है। उत्तरायण में दिन बडे़ और रातें छोटी होती हैं। दरअसल, सूर्य नारायण बारह राशियों में एक -एक माह विराजते हैं। जब भास्कर देव कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक,और धनु राशि में रहते हैं तो इस काल को दक्षिणायन कहते हैं। इसके बाद सूर्य नारायण मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में क्रमशः एक-एक माह रहते हैं। इसे ही उत्तरायण कहते हैं। और जिस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण होते हैं तो उस तिथि को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य नारायण मकर राशि में प्रवेश करते है।