खेती किसानी को भला ही कुछ लोग त्रिकोणीय वाला व्यवसाय कहे। लेकिन समझदारी से आधुनिक और तरीके से खेती कर आज भी लोग मालामाल हो रहे हैं। बस जरूरत है समय के साथ चलने की और अविश्वासी विश्वास को सहमति का और कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। यहां तक के कुछ किसान अच्छीखासी नौकरी की खेती करने की शुरुआत कर रहे हैं। दिया कर है.
मंजिल उन्ही कोठों में है जहां सपनों में जान होती है, राहुल से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। यह कहावत अवथही के प्रगतिशील किसान दिवाकर राय पर ठीक बैठती है। 12 बीघे काली मिर्च की खेती कर 35 लाख रुपये के माउंट का रिकॉर्ड पार्ट बनाया और अभी आगे इसमें ही जादूगर होगा। दिवाकर राय की निजी कंपनी की अच्छी नौकरी ठीक है कृषि में आए और कृषि क्षेत्र में प्रकृति के कारण नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं। उन्होन ने बताया कि आम तौर पर हम लोगों की तरफ से मिर्च तैयार होती है तो किसानों में मिर्च का भाव गिर जाता है। को बहुत फायदा नहीं हो पाता। इसलिए उन्होंने सबसे पहले काली मिर्च की खेती एक महीने पहले करने का सोचा था, इसके लिए सबसे बड़ी बाधा जून की ताप्ती धूप में कैसे डाली गई थी, इसके लिए देशी जुगाड़ से नाममात्र के खर्च से नेटशेड में शामिल किया गया था। प्रयोग सफल रहा। 3 जून को 26 जुलाई को मिर्च के उपाय दिए गए थे। जो अक्टूबर के पहले सप्ताह में तैयार हो गए थे।
उन्होंने बताया कि जो ब्रेकाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में या नवंबर के अंतिम सप्ताह में होती थी, उसे वे 12 अक्टूबर से ही शुरू कर देते थे। उस समय काली मिर्च की कीमत ₹100 के आसपास थी। उस बिंदु पर उनके खेत में 15 एकड़ प्रति एकड़ के निर्माण से 12 बीघे में तैयार हुई आठ बीघे में कुल 11 लाख रुपये की काली मिर्च दी गयी। दूसरी ओर, 30 अक्टूबर से 17 नवंबर तक जारी की गई मिर्च की कीमत ₹72 से ₹19 थी और उत्पादन लगभग 40 औसत प्रति नाटक था। 10 लाख रुपये का मिलान। तीसरा तोड़ाई 27 दिसंबर से शुरू हुआ और 75 अनमोल प्रति नानक की दर से लगभग आठ लाख रुपये की मिर्ची डाली गई। अभी भी उनके खेत में करीब 250 सामान्य काली मिर्च के खेत में रखे हुए हैं। दिवाकर राय ने बताया कि अगर सीज़ ने साथ दिया और प्रबंधन किया तो 15 अप्रैल तक काली मिर्च का उत्पादन लिया जा सकता है।
दिवाकर राय ने बताया कि अगर समय रहते पहली बार जया का निर्माण किया गया तो काफी फायदा होगा। हालाँकि उन्होंने एक बात से आगाह किया कि उनकी पूरी खेती का केवल आधा हिस्सा पहले ही तैयार कर लें और कुछ दिन बाद बाकी हिस्सा छोड़ दें। दिवाकर राय की इस तरह की खेती की सोच से अन्य किसान भी प्रेरणा लेकर प्राकृतिक खेती को भी सब्जियां बना सकते हैं।