
जमानियां। स्थानीय स्टेशन बाजार स्थित हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भारत अंतरिक्ष सप्ताह धूमधाम से मनाया गया। महाविद्यालय के सेमिनार कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में शिक्षार्थियों को प्रोजेक्टर के माध्यम से उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस के पचास वर्ष पूरे होने की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. श्री निवास के संबोधन से हुआ। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यह दिन भारत की उन असाधारण उपलब्धियों को स्मरण करने का अवसर है, जिन्होंने न केवल अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में हमारी स्थिति को सुदृढ़ किया है, बल्कि हमारे दैनिक जीवन को भी उन्नत बनाया है।
इसके पश्चात, महाविद्यालय के आईक्यूएसी प्रभारी प्रो. अरुण कुमार ने उपग्रह प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आधुनिक युग की आधारशिला है। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा स्थापित किए गए विभिन्न कीर्तिमानों को रेखांकित करते हुए इसे प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का विषय बताया। प्रो. कुमार ने 1975 में भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट के प्रक्षेपण से लेकर आज के INSAT, IRS, नाविक (NavIC) और GSAT जैसे उन्नत उपग्रहों तक की यात्रा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने संचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, कृषि, नेविगेशन और शिक्षा जैसे विविध क्षेत्रों में इन उपग्रहों की क्रांतिकारी भूमिका को स्पष्ट किया।डॉ. संजय कुमार सिंह ने अपने वक्तव्य में उपग्रह प्रौद्योगिकी के दैनिक जीवन में प्रत्यक्ष प्रभाव को दर्शाया। उन्होंने कहा कि मोबाइल पर जीपीएस का उपयोग, टेलीविजन पर समाचार देखना, और किसानों द्वारा मौसम की जानकारी प्राप्त करना, यह सब उपग्रहों के माध्यम से ही संभव हो पाता है। उन्होंने विशेष रूप से इसरो के नाविक सिस्टम का उल्लेख किया, जिसने भारत को एक स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली प्रदान कर आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 2017 में इसरो द्वारा एक ही रॉकेट से 104 उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण को भारत की तकनीकी क्षमता का जीवंत प्रमाण बताया।कार्यक्रम का संयोजन कर रहे डॉ. महेंद्र कुमार ने कहा कि आज का दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि उपग्रह प्रौद्योगिकी केवल वैज्ञानिकों या इंजीनियरों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी सामाजिक और आर्थिक प्रगति का आधार है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा, टेलीमेडिसिन और आपदा प्रबंधन में उपग्रहों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जिससे भारत को एक मजबूत और समावेशी राष्ट्र बनाने में सहायता मिली है। उन्होंने युवाओं को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता बताई और इसरो की उपलब्धियों को मेहनत, नवाचार और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया।कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. अभिषेक तिवारी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कैप्टन डॉ. अंगद प्रसाद तिवारी ने किया। इस अवसर पर कमलेश प्रसाद, पप्पू कुमार सहित अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।